The best Side of Shodashi

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The day is observed with good reverence, as followers pay a visit to temples, give prayers, and engage in communal worship situations like darshans and jagratas.

The Navratri Puja, For example, will involve organising a sacred space and performing rituals that honor the divine feminine, that has a deal with meticulousness and devotion which is considered to carry blessings and prosperity.

Goddess is popularly depicted as sitting down within the petals of lotus that is certainly held over the horizontal body of Lord Shiva.

Darshans and Jagratas are pivotal in fostering a sense of Local community and spiritual solidarity among devotees. Through these situations, the collective Vitality and devotion are palpable, as individuals interact in many varieties of worship and celebration.

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१२॥

अष्टारे पुर-सिद्धया विलसितं रोग-प्रणाशे शुभे

ഓം ശ്രീം ഹ്രീം ക്ലീം ഐം സൗ: ഓം ഹ്രീം ശ്രീം ക എ ഐ ല ഹ്രീം ഹ സ ക ഹ ല ഹ്രീം സ ക ല ഹ്രീം സൗ: ഐം ക്ലീം ഹ്രീം ശ്രീം 

वृत्तत्रयं च धरणी सदनत्रयं च श्री चक्रमेत दुदितं पर देवताया: ।।

दुष्टानां दानवानां मदभरहरणा दुःखहन्त्री बुधानां

श्वेतपद्मासनारूढां शुद्धस्फटिकसन्निभाम् ।

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥५॥

Disregarding all warning, she went for the ceremony and located her father experienced began the ceremony with no her.

The Sadhana of Tripura Sundari is actually a harmonious blend of in search of enjoyment and striving for liberation, reflecting the dual elements of Shodashi her divine nature.

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

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